जीव ईश्वर से भिन्न भी है एवं अभिन्न भी है- स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी
*रामकृष्ण मठ निरालानगर लखनऊ में चल रहा प्रतिदिन सत् प्रसंग कार्यक्रम* (लखनऊ)
मंगलवार के प्रातः कालीन सत् प्रसंग में रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैतवाद के मतानुसार भगवान से जीव एक ओर से भिन्न है और दूसरी ओर से अभिन्न है। वे लोग कहते हैं जो चित विशिष्ट है, चेतन है अर्थात विभिन्न जीव है वो भी भगवान का एक अंश है एवं ये जड़ जगत जो अचित विशिष्ट है अचेतन है वो भी भगवान का अंश है यह चेतन एवं अचेतन दोनों ही भगवान के शरीर जैसा है हम लोग जैसे अपने शरीर से अभिन्न हैं वैसे ईश्वर जीव एवं जगत में परिव्याप्त होकर अभिन्न है फिर हम लोग जैसे शरीर में रहते हुए शरीर के कोई अंश में सीमित नहीं है वैसे ही भगवान ये जीव-जगत में परिव्याप्त होते हुए भी किसी के साथ वो सीमित नहीं है तो विशिष्टाद्वैतवादीगण ये परम् तत्व में स्वगत भेद स्वीकार करते हैं और परमात्मा यह जीव-जगत में परिव्याप्त होते हुए भी इसके बाहर में भी है। जबकि द्वैतवादीगण यह मानते हैं जीव एवं जगत संपूर्ण रूप से भिन्न है एवं बराबर जीव जगत में ईश्वर अलग रहेंगे।
स्वामी जी ने कहा कि शंकराचार्य जी का जो अद्वैतवाद है वो कहते हैं कि जीव, जगत एवं ईश्वर में कोई भेद नहीं है। वो सब एक ही है जो परिदृश्यमान जगत है वो एक आभास मात्र है वह प्राकृत रूप से उनका कोई सत्ता नहीं है। एक ब्रह्म ही सत्य है और इस ब्रह्म को हम लोग जगत रूप से देख रहे हैं, लेकिन असल में ये ब्रह्म ही है जो देखा जाता है उसको दृश्य कहलाता है। वो द्रष्टा के ऊपर निर्भरशील है अगर द्रष्टा नहीं है तो दृश्य नहीं रहेगा लेकिन दृश्य नहीं रहने से भी द्रष्टा रह जाता है तो अद्वैतवादीगण कहते हैं द्रष्टा ही सत्य है, दृश्य सत्य नहीं है एकमात्र ब्रह्म वस्तु ही नित्य है सत्य है एक है।
स्वामी जी ने कहा कि भगवान श्री रामकृष्ण द्वैतवाद, अद्वैतवाद एवं विशिष्टाद्वैतवाद तीनों वाद को ही समर्थन करते हुए कहते हैं, प्रत्येक मतवाद ही सत्य है एवं अपनी अनुभूति के बल पर प्रत्येक मतवाद को जीवन में अनुभव करना चाहिए एवं उसी से ही हमारे जीवन में धर्म समन्वय संभव है। प्रत्येक मतवाद सत्य है एवं वह अनुभूतिगम्य है। सभी मतवाद सत्य हैं इसको अनुभव किया जाता है वह अनुभव करना ही हमारे जीवन का लक्ष्य है।
स्वामी मुक्तिनाथानंद
अध्यक्ष
रामकृष्ण मठ लखनऊ