ईश्वर की कृपा से ही ईश्वर दर्शन संभव
मुक्तिनाथानन्द जी
लखनऊ।
सोमवार के प्रातः कालीन सत् प्रसंग मे रामकृष्ण मठ लखनऊ के अध्यक्ष स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया कि ईश्वर दर्शन कृपा सापेक्ष है। भगवान श्री रामकृष्ण ने कहा कि ईश्वर स्वयं अगर एकाएक प्रकाशित कर दिखाये तो क्षण भर में सब समझ में आ जाता है। वे अगर एकाएक ज्ञानदीप जला दें तो सब संदेह मिट जाये। हमारे ये सीमित मन से हम अनंत ईश्वर को समझ नहीं पाएंगे। उन्होंने कहा कि अज्ञानवशतः हम लोग सोंचते हैं, ईश्वर के बारे में हम जान लेंगे लेकिन हमें समझना चाहिए कि हम कैसे जानेंगे? प्रथमतः जिस मन और बुद्धि से हम भगवान को जानना चाहते हैं, वह तो राग-द्वेष मुक्त नहीं है। स्वामी जी ने कहा कि जब तक मन-बुद्धि साफ नहीं हो तब तक उसके द्वारा भगवान को जानना संभव नहीं है। द्वितीयतः जो वाणी एवं मन के अतीत है उनको ये मन और वाणी के द्वारा हम कैसे प्रकाश कर सकते हैं? इसलिए श्री रामकृष्ण ने कहा कृपा भिन्न और दूसरा उपाय है नहीं।
उन्होंने कहा कि हमें सामर्थ्यानुसार भगवान को प्राप्त करने के लिए प्रयास करने की चेष्टा करनी चाहिए लेकिन कभी यह नहीं सोचना कि हम साधन करके उनको जान लेंगे। साधन करने का उद्देश्य, कि साधन से भगवान प्राप्त नहीं हो सकते है। अगर साधन से हमारा अहंकार वर्धित होता है तब वो साधन हमारे लक्ष्य का परिपंथी है। अगर सही ढंग से हम ईश्वर को पाने के लिए व्याकुल होकर प्रचेष्टा करते हैं तब पता चल जाता है कि वो हमारे सारे सामर्थ्य के पहुँच के बाहर हैं। उस अवस्था में जब हम दिल से उनको पुकारते है, तब वो प्रार्थना भगवान सुन लेते है एवं कृपा करके दर्शन दान करते हुए हमारे जीवन को सार्थक एवं धन्य कर देते हैं।
स्वामी मुक्तिनाथानन्द जी ने बताया अतएव हमें प्रयास करना चाहिए कि हम अहंकार एवं बुद्धि का अभिमान छोड़कर व्याकुल होकर भगवान के चरणों में प्रार्थना करें, ताकि वह कृपा करके उनके दर्शन के माध्यम से हमारे जीवन को परिपूर्ण करें।
*स्वामी मुक्तिनाथानंद*
अध्यक्ष